Raj Narayan Bohare

राजनारायण बोहरे प्रकाशन

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विगत दशकों में कहानी ने जितने भी रूप गढ़े हैं, वे रचनाशीलता का आल्हाद उत्पन्न करते हैं, पर इसके साथ ही पाठकीय प्रतिक्रियाओं मंें यह भी अनुभव किया जा रहा है कि कहानी में हमारे आसपास की दुनिया और उससे जुड़े हमारे छोटे-बड़े अनुभव कम होते जा रहे हैं।

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